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अन्ना टीम हमारे चुनाव में सभी चुनावचिन्हों के साथ नापसंदगी का चुनाव चिन्ह भी रखने की मांग कर रही है यह व्यवहारिक नहीं होगा बल्कि अनुचित ही होगा यह कोई समस्या का हल भी नहीं है अन्ना टीम का मानना है कि नापसंदगी से भ्रष्ट लोगो के करोडो रुपये व्यर्थ में फूंक जाने से वे कमजोर और परेशान हो जायेंगे और चुनाव लड़ने से बाज आएंगे परन्तु ऐसा कुछ होने वाला नहीं है इससे कमजोर पड़ेगा केवल ईमानदार प्रत्याशी क्योकि भ्रष्टो के पास तो इतनी दौलत है कि वे हर महीने चुनाव लड़ना पड़े तो भी पीछे नहीं हट सकते इतनी दौलत है इन भ्रष्टो के पास
दूसरी बात जब अन्ना टीम यह मानती है कि उसके कहने से मतदाता नापसंदगी को चुन सकते है तो वे सीधे अन्ना टीम के प्रत्याशी को ही क्यो नही चुन सकते ?अवश्य चुन सकते है तो वे क्यों न अपने प्रत्याशी को चुनाव में उतारे उन्हें पैसे की आवश्यकता नहीं होगी सारा प्रचार जनता खुद करेगी अपना चुनाव समझकर सिर्फ अन्ना टीम को यह घोषणा करनी होगी कि अमुक व्यक्ति हमारा प्रत्याशी है उसके बाद उसे जिताने की जिम्मेदारी जनता अपने सर ले लेगी उम्मीदवार भी यह बात समझेगा की वह वह प्रत्याशी बनकर एक मन्दिर में प्रवेश कर रहा है अत:जूते ( व्यक्तिगत मह्त्वकांक्षा,स्वार्थ और अन्य बुराई ) बाहर ही उतार कर ही अन्दर प्रवेश करे गलती करता है तो फटकार सुनने के लिए तैयार रहना होगा में समझता हूँ कि कोई समस्या नहीं होगी बस अन्ना टीम को २०१४ का आम चुनाव लड़ने की योजना बनाना शुरू कर देना चाहिए
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