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कही आडवाणीजी रायता फ़ैलाने के प्लान पर तो अमल नही कर रहे है

deshjagran
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गुरुवार को बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में आडवाणी ने मोदी के ज्यादातर प्लान को तर्कों के जरिए अपर्याप्त बताया, जिसके बाद यह तय किया गया कि आडवाणी ने जिन कमियों की ओर इशारा किया है उसे सुधारने के बाद एक बार फिर से संसदीय बोर्ड विचार करेगा। इसके बाद सर्वसम्मति से यह फैसला किया गया कि आगामी 8 जुलाई को एक बार फिर से संसदीय बोर्ड बैठेगा।

मोदी के तर्क
-भाजपा को अपना ध्यान सिर्फ सीट बढ़ाने पर केंद्रित करना है। पार्टी पीछे की न सोचे, आगे देखे।
-यूपी और बिहार में ध्रुवीकरण सीट बढ़ाने का एकमात्र विकल्प है।
-गुजरात मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर प्रोजेक्ट किया जाए।
-जिताऊ उम्मीदवार को ही टिकट।
-2014 के लिए राज्यों की रणनीति केंद्रीय भाजपा बनाए।
-गठबंधन पर चुनाव बाद विचार।
-कांग्रेस की जगह राज्य सरकारों पर ज्यादा हमला बोला जाए।

आडवाणी की ‘काट’
-भाजपा का फोकस एनडीए की सीटें बढ़ाने पर भी होना चाहिए। 2004 में पार्टी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। सहयोगी हारे और भाजपा सत्ता से बाहर हुई। इतिहास से सबक जरूरी।
-ध्रुवीकरण से और अछूत बनेंगे। महंगाई, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस के खिलाफ खड़ा किया जाए सियासी ध्रुवीकरण का माहौल। ध्रुवीकरण हुआ तो कांग्रेस को कम होगा नुकसान।
-विकास का अटल मॉडल एकमात्र विकल्प। गुजरात मॉडल से देश परिचित नहीं। अटल मॉडल देश भर में लोगों को याद है और देख भी रहे हैं।
– टिकट वितरण के लिए उम्मीदवारों की विश्वसनीयता और ईमानदारी पहली शर्त। अन्ना आंदोलन के बाद इसकी जरूरत बढ़ी। उम्मीदवारों को लेकर भाजपा की कथनी और करनी का अंतर नहीं दिखे।
– लोकसभा चुनाव के लिए केंद्रीय भाजपा, प्रदेशों पर अपने विचार नहीं थोपे। मुख्यमंत्रियों और राज्य अध्यक्षों की योजना पर केंद्रीय नेतृत्व को चलना चाहिए।
-चुनाव पूर्व एनडीए कुनबा बढ़ाना जरूरी। अभी मैसेज है कि भाजपा के साथ कोई नहीं है। लोग केंद्र में स्थिर सरकार चाहते हैं और यह यूपीए के लिए प्लस प्वाइंट हो सकता है।
– फोकस में सिर्फ कांग्रेस को रखना चाहिए। गैर-कांग्रेसी सरकारों पर हमले से चुनाव बाद गठबंधन में हो सकती है दिक्कत। इसके अलावा राज्य सरकारों पर हमले का मतलब है भाजपा के लिए दो दलों से लड़ना। एक गैर-कांग्रेसी सरकार और दूसरी कांग्रेस। यह आत्मघाती हो सकता है।
आडवाणीजी की आपत्तियां निराधार है वे अपनी हार मानकर चलने का मन बना चुके है कुछ बाते संदेह भी पैदा करती है कही आडवाणीजी रायता फ़ैलाने के प्लान पर तो अमल नही कर रहे है कि मै नही खाऊंगा तो तुम्हे भी खाने नही दूंगा अर्थात “खाऊंगा नही तो ढ़ोल दूंगा” क्योकि उनका पेट दुख रहा है यह तो वे नोटंकी कर बता ही चुके है और अब वे निरर्थक आपत्तियां लेकर मोदीजी की राह मे रोड़े अटकाना चाहते है मुझे इस बात की पूरी पूरी आशंका थी कि ऐसा कुछ ही होगा अपने लेख -” नरेन्द्र मोदी पर भाजपा संघ पहले करे विचार विमर्श” http://girishnagda.blogspot.in मे मैने नाम न लिखते हुए इस बात की पूरी पूरी संभवना व्यक्त की थी बीजेपी से निष्काषित राम जेठमलानी ने कहा है कि आडवाणी ने कर्नाटक में बीजेपी को बर्बाद किया और अब इसे राष्ट्रीय स्तर पर भी खत्म करेंगे। जेठमलानी के मुताबिक आडवाणी पीएम बनना चाहते हैं और इसके लिए वे कुछ भी करेंगे। जेठमलानी ने यह भी कहा कि आडवाणी सठिया गए हैं।

एक बात कान खोलकर सुन ले आडवाणीजी और उनके हिमायती कि भा.ज.पा. और देश की ड़ूबती नाव अगर कोई पार लगा सकता है तो वह सिर्फ़ मोदीजी ही है अगर आप भा.ज.पा. और देश हितैषी है तो कृपया मोदीजी का खुलकर समर्थन करे और उन्हे फ़्री हेन्ड़ दे फ़िर देखे मोदी का जादू

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