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राष्ट्रीयधिक्कार के फ़ोकस मे नरेन्द्र मोदी नही फ़ारुख अब्दुल्ला होने चाहिए
कश्मीरमे इस्लाम के नाम पर क्रूरतापूर्वक 50 हजार से अधिक हिन्दुओ की जो हत्याये की गयीउसका जिम्मेदार कौन है ? वहां बिना किसी वजह के लगातारहिन्दुओ पर घनघोर अत्याचार किये गये उसका जिम्मेदार कौन है ? 5 हजार से अधिक महिलाओ को बालात्कार का शिकार बनाया गया उसका जिम्मेदार कौनहै ? 5 लाख सेज्यादा उन कश्मीरी हिन्दुओ को उनके घर, उनकी जन्मभूमि सेधमकाकर रातो रात खदेड़ दिया गया उन्हे अपना सारा माल असबाब वही उनके हवाले छोड़करकिसी तरह जान बचाकर भागने को मजबूर कर दिया गया जो पिछले 24साल से अपने घरो से दूर टेंटो में आज भी भिखारियों की तरह जीवन जी रहे है उसकाजिम्मेदार कौन है ? अगर गुजरात में मारे गए 1158 लोगो, जिसमे 400 से अधिकहिन्दू थे उसके लिये राज्य का मुख्यमंत्री नरेन्द्रमोदी जिम्मेदार है तो 50 हजार हिन्दुओ (100% सिर्फ़ हिन्दुओ) की हत्याओ केलिये तत्कालीन मुख्यमंत्री फ़ारुख अब्दुल्ला जिम्मेदार क्यो नही है ?
नरेन्द्रमोदीको तो हर दिन मीड़िया,मुसलमान,कांग्रेसी,वामपंथी व तथाकथित मानवाधिकार कार्यकर्ता मिलकर एक हजार से अधिक बार गाली देकर हत्यारा,हत्यारा न कहे तब तक उन्हे ठंड़क नही पड़ती किन्तु फ़ारुख अब्दुल्ला को इनमेसे किसी ने भी अभी तक एक शब्द भी नही कहा क्यो, ( बी.जे.पीने भी नही) क्यो ? किसी न्यायालय ने भी खुद संज्ञान नही लिया क्यो ? गुजरात मे जो हुआ वह तात्कालिक स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी क्योकि गोधरा मे ट्रेन की एक बोगी मे ६८ निर्दोष लोगों को, मुसलमानो ने सुनियोजित षड़्यंत्रपूर्वक जिन्दा जला दिया था 31 युवतियो को ट्रेन की बोगी से उठाकर जंगल मे ले गये वहां उनके साथबालात्कार किया गया कई युवतियो के गुप्तांगो को चाकू से गोद दिया गया था कई विक्षिप्त हो गयी और बाद मे जंगल मे भटकती पाई गयी हत्या की गई कश्मीर मे तमाम लाशे क्षत विक्षत अवस्था मे मिली थी अर्थात उन्हे भारी यातनाये दे देकर मारा गया था यह् बिल्कुल भी मामूली बाते नही थी कोई भी जाग्रत समाज ऐसी घटनाओ को आसानी से कदापि माफ़ नहीं कर सकता.इस सब के बावजूद मुस्लिम नेता समय पर गोधरा कांड का दुःख व्यक्त करते, क्षमा मांगते तो शायद दंगे होते ही नहीं (लेकिन आजतक किसी भी मुस्लिम नेता ने इस दुखद घटना के लिये कोई भी सच्चा दुख,खेद व्यक्त नही किया है ) बाद में भी जो हुआ बहुत दुखद था परन्तु वह उस ठोस कारण की स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी उसमे कुछ भी सुनियोजित नही था षड़्यंत्र कतई नही था अगर 5८ निर्दोष लोगों को जिन्दा जलाने व 31 युवतियोके साथ क्रुरतापूर्वक बालात्कार जैसी क्रूर,घृणित और खोफ़नाक हरकत मुसलमान नही करते तो गुजरात मे कोई दंगे होते ही नही परन्तु उस सबके लिये मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी को जिम्मेदार ठहरा कर बार बार हत्यारा कहा गया गुजरात की जनता के सहज गुस्से और प्रतिक्रिया की कोई गिनती ही नही की गयी अगर मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी जानबूझकर यह सब करते और वे हत्यारे होते तो एक भी मुस्लिम को वहां शेष रहने क्यो देते या गुजरात मे बाद मेभी रहने ही क्यो देते ( जैसा मुख्यमन्त्री फ़ारुख अब्दुल्ला ने कश्मीर मे किया कि कश्मीर मे एक भी हिन्दू को जीवित शेष नही रहने दिया ) और नरेन्द्र मोदी एक भी हिन्दू को गुजरात मे मरने ही क्यो देते जबकि वहाँ तो 5८ निर्दोष हिन्दू यात्रियो के अलावा भी दंगो मे 400 स्थानीय हिन्दू भी मारे गये थे उस सबके बावजूद गुजरात मे आज भी लाखो मुस्लिम पूर्ववत सामान्य जिन्दगी जी रहे है, वहां रह रहे है,क्या इतना बड़ा फ़र्क दिखाई नही देता ? कश्मीर मे हिन्दुओ के साथ जो ज्यादाती हुई है , गुजरात की एकमात्र घनघोर घृणित कांड़ की स्वाभाविक प्रतिक्रिया से उसकी कोई भी तुलना उचित, न्यायसंगतऔर तर्कपूर्ण नही है |मानवाधिकार केवल गुजरात के मुस्लिमो का ही नही है कश्मीर के हिदुओ का भी कोई मानवाधिकार पर हक कम नही बनता ! तब कश्मीर के हिदुओ का मानवाधिकार किसी को दिखाई क्यो नही देता ? सबसे अधिक दुखद है कि बी.जे.पी भी आजतक मुंह सीकर उनकी ही हां मे हां मिलाती रही अर्थात निराधार आरोपो पर अपनी सहमती ही जताती रही कभी ढ़ृढ़ता के साथ इसके खिलाफ़ खड़ी नही हुई |अगर किसी एंगल से मोदी दोषी है तो कश्मीर मे यह सब जो कुछ हुआ है उस सबके लिये फ़ारुख अब्दुल्ला ( तत्कालीन मुख्यमंत्री ) एक लाख बार दोषी है ,हत्यारे है घृणा और धिक्कार के पात्र है |उमर अब्दुल्ला भी उन्ही के नक्शे कदम पर चल रहे है |
आजादीके बाद से 1989 तक जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद नहीं था, कश्मीर में आतंकवाद के लिए भले ही पाकिस्तान को दोष दिया जाता हो, लेकिन इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि इसमें नौवें दशक की फारुख अब्दुल्ला की सरकार का हाथ था। दरअसल, तत्कालीन जम्मू-कश्मीर सरकार नेकश्मीरी युवाओं को सैनिक प्रशिक्षण के लिए पाक-अधिकृत कश्मीर में भेजा था। शेखअब्दुल्ला के निधन के बाद नेशनल कांफ्रेंस दिल्ली के साथ आंख-मिचौली खेलती रही,भारत के विरुद्ध नफरत फैलाती रही और आजादी के नाम पर मासूमकश्मीरियों का शोषण करती रही। जून, 1984 में इंदिरा गांधी नेफारुख अब्दुल्ला और उनकी नेशनल कांफ्रेंस National Conference को जेकेएलएफ के साथ संलिप्त होने के सबूतों के आधार पर सुरक्षा के लिएखतरा घोषित कर दिया था परन्तु राजीव गांधी ने तब एक भयंकर भूल की थी जब उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस से हाथ मिलालिया था। यह सिलसिला आज तक चल रहा है। फारुख अब्दुल्ला द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर भेजे गए कश्मीरी युवकों का पहला जत्था जब लौटकर आया, तबउन्होंने 1990 में वायुसेना अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया। अपराधियों द्वारा गुनाह कबूल कर लिए जाने के बावजूद ट्रायल नहीं होने दियागया और इन अपराधियों को केंद्रीय नेताओं की शह पर मीडिया द्वारा गौरवान्वित कियागया।फारुख अब्दुल्ला के पुत्र उमर फारुख अब्दुल्ला अपने पिता के ही नक्शेकदम पर चलरहे है वे बारबार कश्मीर से सेना हटाने की मांग करते है सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) को वापस लेने की मुहिम वे चला रहे है आज कश्मीर मे हमारी सेना केजवान लकड़ी गुलेल से आतंकवादिओ का मुकाबला करने, मरने को विवश है इसी वजह से जब आतंकवादियों ने सीआरपीएफ कैंप पर हमला किया था उस वक्त जवानों केहाथ में केवल लाठियां थीं। इस हमले में सीआरपीएफ के पांच जवान मारे गए थे 15जवान घायल हुए थे। तीन दिन पहले भी गुस्साई भीड़ ने बीएसएफ कैंप केबाहर पहुंचकर प्रदर्शन कर पथराव शुरू कर दिया। गुजरात की प्रथम घटना और प्रतिक्रिया को नजरदांज करने वाले देखे कि तीन दिन पहले की घटना क्या थी हुआ कुछ यूं था कि बीएसएफ को इलाके में आतंकियोंके होने की सूचना मिली थी। इसके बाद रेलवे प्रोजेक्ट के पास तलाशी अभियान में एक संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ा गया। उसने तलाशी देने से मना कर दिया।उसके समर्थन में स्थानीय लोग जमा हो गए। फ़िर गूल इलाके के धारम स्थित मदरसे में मौलवी ने माइक पर कहा कि बीएसएफ के जवानों ने उनके साथ हाथापाई करने के साथ ही धार्मिक पुस्तक से बेअदबी की है। जबकि यह धार्मिक पुस्तक वाली बात बिल्कुल झूठ है थी रेलवे प्रोजेक्ट के पास धार्मिक पुस्तक कहां से आ जायेगी बस लोग भडक उठे उन्हे तो बस भड़कने का बहाना चाहिए लोगो ने जो सुरक्षाकर्मियो पर पथराव शुरू कर दिया । इस सबसे पुलिस और सुरक्षाबलो का मनोबल बेहद कमजोर हो रहा है दुनिया मे कही भी कुछ हुआ या अफ़वाह सुनी तो भारत मे मारकाट दंगे शुरू कर देते है कहो तो कहते है वहां कि प्रतिक्रिया मे यहां दंगे प्रायोजित करते है क्योकि वे हमारे मुस्लिम ब्रादर है और हमारा आक्रोश, हमारी प्रतिक्रिया जायज है अर्थात तुम्हारी हर जायज नाजायज प्रतिक्रिया आक्रोश जायज है और गुजरात के लोगो ने जिस क्रूर अत्याचार का सामना किया और प्रतिक्रिया व्यक्त की तो वह बेहद नाजायज थी वाह भाई वाह किसी को भी इस बात की चिन्ता नही है कि हमारे जवान तो ड़ंड़ा पकड़कर रोज इस तरह से अत्याचार झेल रहे है,हर घटना पर मार खाकर उपर से अत्याचार करने के आरोप और जांचे, केस भुगत रहे है जबकि सारी दुनिया देख रही है कि हो असल मे क्या रहा है बस सब मौन है | फ़ारुख अब उमर अब्दुल्ला तो बैठकर खामोश तमाशा देखने की रवायत बना चुके है अतः राष्ट्रीय धिक्कार के फ़ोकस मे नरेन्द्र मोदी नही ये बाप बेटे होने चाहिये इन्होने कश्मीर को अपनी खाला का घर बना लिया है ? जहाँ इन्होने मनमानी के सारे रिकार्ड़ पूरी बेशर्मी से तोड़कर रख दिये है | क्या हम एक लाचार देश है या हमारे हुक्मरान बेशर्म है ?
– गिरीश नागड़ा
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